संपादकीय

देश और समाज में परिवर्तन के प्रतिनिधि हैं शिक्षक

राजस्थान में शिक्षा के क्षेत्र में काफ़ी सुधार ज़रूर हुए हैं, लेकिन वे पर्याप्त नहीं हैं. अभी हमें बहुत सारे और प्रयास करने होंगे. अभी भी बहुत सारी चुनौतियां हैं, विशेष रूप से प्राथमिक स्तर की स्कूली शिक्षा में. सबसे अहम बात है कि सरकारी स्कूलों में अब पहले की तरह ज़्यादा बच्चे पढ़ाई बीच में छोड़कर नहीं जाते. पिछले कुछ वर्षों में थोड़ी बहुत रिटेंशन बेहतर हुई है. अभी तो संख्या इतनी बढ़ गई है कि कई बार बैठने की भी जगह नहीं होती. दूसरी ओर, कई स्कूलों की इमारतें इतनी जर्जर हो चुकी हैं कि बच्चों की सुरक्षा को लेकर चिंता होती है जो कि बिलकुल जायज़ है.

 

आज कोई भी माता-पिता अगर अपने बच्चों को स्कूल भेजेंगे तो सबसे पहले वे देखेंगे कि बच्चे सुरक्षित हैं या नहीं. स्कूलों के इंफ़्रास्ट्रक्चर को लेकर पिछले दिनों काफ़ी हंगामा हुआ. अगर हमने पहले इस पर ध्यान दिया होता तो शायद यह स्थिति नहीं आती. स्कूली इमारतों में सुधार हुए हैं और उसके लिए पैसे भी आए हैं, लेकिन वह पर्याप्त नहीं हैं और उनसे सभी स्कूलों की देखभाल नहीं की जा सकती.

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