राजस्थान में सात सीटों पर विधानसभा के उपचुनाव हो रहे हैं. यहां देवली उनियारा सीट चर्चा में है. कांग्रेस का गढ़ माने जाने वाली इस सीट पर पार्टी बुरी तरह से फंसती नजर आ रही है. कांग्रेस उम्मीदवार केसी मीणा पर टिकट खरीदने के आरोप लग रहे हैं. जबकि कांग्रेस के बागी नरेश मीणा पर बीजेपी से सांठगाठ कर निर्दलीय चुनाव लड़ने का आरोप लगाया जा रहा है. यानी कांग्रेस के दो धड़े खुलकर चुनावी मैदान में उतरने से बीजेपी उम्मीदवार राजेंद्र गुजर्र का रास्ता आसान होते दिख रहा है.
टोंक जिले की देवली उनियारा सीट कभी राजा का गढ़ रही है. इसे अब कांग्रेस नेता सचिन पायलट के प्रभाव वाली सीट माना जाता है. इस बार उपचुनाव में कांग्रेस के बागी उम्मीदवार के उतरने से मुकाबला कांटे का और त्रिकोणीय हो गया है. बीजेपी ने पिछली बार गुर्जर आरक्षण के अगुआ रहे कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के बेटे विजय बैसला को टिकट दिया था, लेकिन वो बड़े मार्जिन से हार गए थे. उसके बाद 2018 में बीजेपी ने राजेंन्द्र गुर्जर पर भरोसा जताया. हालांकि, वो कांग्रेस के हरीश मीणा से करीब 20 हजार वोटों से हार गए थे. 2023 में बीजेपी ने विजय सिंह बैंसला को मैदान में उतारा, लेकिन वो भी हरीश मीणा से चुनाव हार गए.इससे पहले 2013 में बीजेपी के टिकट पर राजेंद्र गुर्जर ने जीत हासिल की थी, लेकिन उसके बाद दो बार लगातार 2018 और 2023 में कांग्रेस के हरीश मीणा बड़े मार्जिन से यहां से चुनाव जीतते रहे हैं. लोकसभा चुनाव में सिटिंग विधायक हरीश चंद्र मीणा टोंक-सवाई माधोपुर संसदीय सीट से सांसद बन गए हैं, जिसके बाद इस सीट पर उपचुनाव हो रहे हैं.
इस बार बीजेपी ने अपने पुराने उम्मीदवार राजेंन्द्र गुर्जर पर भरोसा जताया है और टिकट दिया है. कहा जा रहा है कि आखिरी समय तक सचिन पायलट अपने विधानसभा क्षेत्र टोंक जिले की इस सीट पर मोर्चा संभालते हैं तो बात बन सकती है. टोंक जिले की चारों विधानसभा क्षेत्रों में यह वो इलाका है जिसका फैलाव सबसे ज्यादा है. इस विधानसभा क्षेत्र की भौगोलिक सीमाएं सवाई माधोपुर, बूंदी के अलावा नए जिले शाहपुरा और केकड़ी से मिली हुई हैं. इस विधानसभा क्षेत्र में कुल मतदाताओं की संख्या 3 लाख 2 हजार 721 है.