चूरू। दिसंबर के अंतिम दिनों में मौसम ने करवट ली और प्रदेश के कई हिस्सों में बारिश हुई। ठंडी हवाओं और बरसात ने न केवल तापमान में गिरावट लाई, बल्कि किसानों के लिए खुशी भी दी। विशेषज्ञों के अनुसार, यह बारिश रबी फसलों जैसे गेहूं, सरसों, चना और मटर के लिए बेहद लाभकारी है। रबी फसलें मुख्यतः ठंडे और सूखे मौसम में उगाई जाती हैं। इनकी बुवाई अक्टूबर-नवंबर में होती है और फसलों की वृद्धि के लिए दिसंबर या जनवरी में हल्की बारिश फायदेमंद मानी जाती है। इस बार हुई बारिश मिट्टी में नमी बढ़ाने और फसलों की सेहत सुधारने में अहम भूमिका निभाएगी। उत्तर भारत की यह बारिश किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। यह न केवल फसलों की वृद्धि में सहायक है, बल्कि किसानों के खर्चों में कमी और मुनाफे सहायक होगी। हालांकि, अत्यधिक बारिश और ओलावृष्टि से कई जगह नुकसान भी हुआ हैं।डा वी.के सैनी ने बताया कि बारिश के कारण मिट्टी में नमी बढ़ती है, जिससे फसलों का बेहतर अंकुरण और फसलों का बेहतर बढ़वार होता है। सूखे क्षेत्रों में बारिश से नमी की समस्या का समाधान होता है। उत्तर भारत के कई हिस्सों में सिंचाई के साधन सीमित हैं। इस समय हुई बारिश ने किसानों को राहत दी ह। इस बारिश ने सिंचाई की जरूरत कम हो जाती है, जिससे किसानों के खर्चे में कमी आती है।