चुरू जिले में चिकित्सा व्यवस्थाओं के विस्तार और सुधार के लिए तत्कालीन स्वास्थ्य एवं चिकित्सा मंत्री राजेंद्र राठौड़ के प्रयासों से तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने 2015 में पं. दीनदयाल उपाध्याय मेडिकल कॉलेज का शिलान्यास किया था ओर 2018 में पंचायती राज मंत्री रहते हुए राजन राठौड़ ने इस इस कॉलेज का लोकार्पण किया था, लेकिन 2018 में शुरू हुए चूरू के इस कॉलेज में अब तक एमबीबीएस स्टूडेंट्स को पढ़ाने वाला स्टाफ कभी पूरा नहीं रहा। जिला मुख्यालय पर 2018 में शुरू हुए पं. दीनदयाल उपाध्याय मेडिकल कॉलेज में स्टूडेंट्स को पढ़ाने वाले 172 में से 85 प्रोफेसर एवं एसोसिएट प्रोफेसर के पद खाली हैं। एनाटॉमी विभाग में सारे पद खाली है, जिसके कारण स्टूडेंट्स की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। इस विभाग में प्रोफेसर सहित 9 पद हैं। इस कॉलेज से अब तक एक बैच तो निकल चुका है, दूसरा इंटर्नशिप कर रहा है।वही मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल प्रो. गजेंद्र सक्सेना ने बताया कि मेडिकल कॉलेज में कुछ पद लंबे समय से खाली चल रहे है। अब लगाए गए 7 में से 6 ने ज्वाइन कर लिया है, जबकि 13 डॉक्टर्स का यहां से तबादला किया गया है। एनाटमी विभाग में लंबे समय से पद खाली है, अब पीएसएम भी खाली हो गया है। बार-बार राजमेस को लिख रहे है।
एनाटॉमी विभाग में सभी पद रिक्त
चूरू मेडिकल कॉलेज में एनाटॉमी विभाग में प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर के 1-1, असिस्टेंट प्रोफेसर के 3 एवं ट्यूटर के सभी 4 पद खाली हैं, जिसके कारण मानव देह के सभी अंगों के बारे में स्टूडेंट्स जानकारी नहीं कर पा रहे हैं। इस विभाग की पढ़ाई चौपट है, जबकि एमबीबीएस में यही सबसे महत्वपूर्ण विभाग है। पैथोलोजी सहित कई विभागों की मशीनें अभी भी डिब्बों में बंद हैं, क्योंकि मेडिकल कॉलेज में टेक्नीशियन के 34 एवं लैब अस्सिटेंट के 10 पद खाली हैं। इसके साथ ही कॉलेज में पैथोलोजी व माइक्रो बॉयोलोजी लैब शुरू ही नाहीं हो पा रहे है। इसके बारे में पिछले दिनों प्रभारी मंत्री को ज्ञापन भी दिए गए।
इन कारणों से है स्टाफ की कमी
1. अधिकतर स्पेशिएलिटी डॉक्टर्स बड़े शहर एवं बड़े कॉलेजों में पोस्टिंग की इच्छा रखते हैं। यहां के कॉलेज में बड़े शहरों की तरह सुविधाएं प्रोफेसर सहित अन्य डॉक्टर्स को नहीं मिल रही हैं। कई लैब की मशीनें अभी तक डिब्बों में बंद हैं। 2. चूरू जिला प्रदेश में डवलपमेंटके हिसाब से पिछड़ा है। यहां के कॉलेज में आने की तुलना में चूरू से बाद में शुरू हुए सीकर जैसे कॉलेज में जाना पसंद करते हैं। चूरू की भौगोलिक स्थिति जैसे तेज सर्दी-गर्मी के कारण भी यहां आना कम पसंद करते हैं।3. राजमेस से पहले स्थापित अन्य मेडिकल कॉलेज में पदस्थापन, वेतनमान सहित कई सुविधाओं को लेकर नियम बने हुए हैं, लेकिन डॉक्टर्स के मुताबिक राजमेस के नियम क्लियर नहीं हैं।4. चूरू के कॉलेज के अस्पताल, लाइब्रेरी, बॉयज, गर्ल्स, स्टाफ एवं नर्सिंग हॉस्टल सहित अन्य भवनों के निर्माण अब हो रहे हैं। इधर, डीबीएच में आउटडोर बिल्डिंग का निर्माण अब हो रहा है, जबकि पूर्व में हुए निर्मित कई भवन दो-तीन साल से नाकारा पड़े रहे।जानकार बताते हैं कि इन सभी कारणों के चलते भी यहां पद रिक्त रहते हैं । अब कारण चाहे जो भी हो लेकिन यहां पढ़ने वाले 750 के करीब एमबीबीएस के छात्रों की पढ़ाई प्रभावित हो रही हैं।