सरदारशहर के ताल मैदान में गुरु गोरखनाथ जी जाहरवीर जी गोगाजी गौशाला समिति मीठासर की ओर से चल रही 9 दिवसीय श्रीराम कथा के तीसरे दिन सोमवार शाम 4 बजे कथावाचक शंकर दास जी महाराज ने भगवान शिव चरित्र व शिव विवाह का प्रसंग सुनाया। कथा के दौरान चार जनों की ओर से 4 लाख रुपये गौशाला के लिए गुप्त दान के रूप में प्राप्त हुआ। इसके अलावा मितासर के किशोरसिंह अभयसिंह राजवी की ओर से 1 लाख 21 हजार रुपये, नंदराम पुत्र भगवानाराम सारण परिवार की ओर से 1 लाख 11 हज़ार रुपये, बिशनसिंह राजपुरोहित की ओर से 31 हजार रुपए, गोमटिया के रणजीतसिंह पुत्र मालसिंह द्वारा 21 रुपये, ओमप्रकाश पुत्र लालूराम सारण की ओर से 21 हजार रुपए, खेतुलाल डागा की ओर से 11 हजार रुपये, डॉक्टर रणवीर भांभू की ओर से 11 हजार रुपये का सहयोग गौशाला में गायों के लिए किया गया। कथा के दौरान भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह का जीवंत चित्रण करने के लिए भव्य झांकी सजाई गई। शिव परिवार की अद्भुत रूप की झांकी ने उपस्थित भक्तों का मन मोह लिया। मंच पर गणेश जी और शिव विवाह की झांकी ने माहौल को और भी दिव्य बना दिया। ये झांकियां विशेष रूप से भक्तों के लिए एक आकर्षक केंद्र बना। कथावाचक शंकरदास जी महाराज ने कहा कि एक बार त्रेता युग में भगवान शिव माता सती के साथ अगस्त ऋषि के यहां राम कथा सुनने के लिए कैलाश पर्वत से दक्षिण में दंडकारण्य में थे। तब वहां अगस्त ऋषि ने भगवान शंकर को थोड़े देर बाद प्रणाम किया। माता सती ने उसका गलत अर्थ समझ लिया। शंकरदास जी महाराज ने कहा कि जब प्यास लगी हो तो पानी कहीं भी मिले प्यासा पहुंच जाता है। भगवान शंकर भी राम कथा का रसपान करने के लिए ऋषि अगस्त के पास पहुंचे थे। वहां नौ दिनों तक कथा सुनने के बाद उन्होंने भगवान राम के दर्शन किए। तब भगवान शंकर के साथ माता सती थीं उन्होंने भगवान राम की परीक्षा ली और सीता का रूप धारण कर उनके पास पहुंचीं। जब यह बात भगवान शंकर को पता चली तो उन्होंने सती का त्याग कर दिया। शंकरदास जी महाराज ने कहा कि किसी भी समस्या का समाधान प्यार से हो जाता है। छल कपट से किसी की परीक्षा लेना गलत है। इस अवसर पर दीपू जैसनसरिया ने गौशाला में गायों के लिए सहयोग करने वाले भामाशाहों का आभार प्रकट किया और कथा समिति की ओर से सम्मान किया गया। इस अवसर पर हरनाथ, भंवरसिंह, मनीराम पारीक, पंकज सेवदा, श्यामसिंह राजवी सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।
