
सरदारशहर । आधुनिकता के दौर में जहां नई पीढ़ी संस्कारों और संस्कृति को भूलती जा रही है, वेद और गुरु परंपराएं तो केवल किताबों में रह गई हैं और ई-क्रांति से मुद्रित पुस्तकें गायब होने लगी हैं तब गुरुकुल और ऋषिकुमार की परिकल्पना अचरज ही है। लेकिन अब धोरों की धरती में यह साकार करने की शुरुआत हो चुकी है।

यहां ब्रह्मधाम आसोतरा के गादीपति तुलसाराम महाराज की प्रेरणा से उनके शिष्य वेदांताचार्य डॉ. ध्यानाराम महाराज ने इस परम्परा को पुन: प्रारंभ किया है। शहर के नजदीकी गांव स्वाई छोटी में में ब्रह्मर्षि खेतेश्वर वेद विज्ञान गुरुकुल का गुरुवार को शुभारंभ शुरू किया गया। गुरुकुल का शुभारंभ वेदांताचार्य डॉ. ध्यानाराम महाराज ने किया। इस अवसर पर राजपुरोहित समाज के बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे। अखिल भारतीय राजपुरोहित समाज विकास संस्थान की देख रेख में इस गुरुकुल का संचालन किया जाएगा। इस दौरान सरदारशहर पंचायत समिति के प्रधान प्रतिनिधि मधुसूदन राजपुरोहित ने बताया कि राजपुरोहित समाज प्रतिस्पर्धा के युग में सरकारी नौकरी के लिए संघर्ष कर रहे युवाओं को तराशकर सफलता दिलाने के साथ ही भारतीय कला संस्कृति और परंपराओं से जोड़ने के लिए इस गुरुकुल की स्थापना की गई है ।

गुरुकुल में ऋषिकुमारों को कंप्यूटर, विज्ञान, गणित, अंग्रेजी से भी दूर नहीं जाएगा है। इसकी जानकारी भी दी जाएगी ताकि संस्कारों के साथ शिक्षा के प्रत्येक क्षेत्र में आगे बढ़ते रहें। इसके लिए भी उनको पूरा समय दिया जा आएगा। गुरुकुल में सुबह- शाम वैदिक मंत्रों व श्लोकों का पठन-पाठन व उच्चारण, कथा पुराण वाचन, धर्मिक ग्रन्थों का अध्यययन एवं वेद पाठ पाठ्यक्रम किया जाएगा । वहीं पूर्व प्रधान भैरव सिंह राजपुरोहित ने बताया कि मंत्र , वेद, संस्कृति और संस्कार से पीढ़ी जुड़ी रहे, इसके लिए गुरुकुल प्रारंभ किया गया है। वेद और संस्कृत हमारे लिए महत्वपूर्ण हैं। भारतीय संस्कृति के लिए गुरुकुल परंपरा से बेहतर क्या हो सकता है, इसी उद्देश्य से गुरुकुल शुरू किए हैं।