सरदारशहर। सत्यमेव जयते, यह सिर्फ वाक्य नहीं है। यह सच है। भारत में न्याय जरूर मिलता है हां न्याय मिलने में देर हो सकती है लेकिन जीत हमेशा सत्य की होती है और एक बार फिर से सरदारशहर में यह साबित हुआ है।
एक 70 वर्षीय बुजुर्ग व्यक्ति जिसे अपनी गाय अपनी जान से प्यारी थी, 26 जनवरी को घर में जन्मी इस गाय का नाम रखा था भारत माता, एक व्यक्ति जिसने अपनी एक 20 हजार रुपयों की गाय के लिए अपना लाखों रुपयों का 10 बीघा खेत बेच दिया, एक व्यक्ति जिसने अपनी गाय को वापस हासिल करने के लिए अपनी दाढ़ी नहीं कटवाने का संकल्प लिया। यह कोई कहानी नहीं है यह यह हकीकत है।
सरदारशहर में एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया हैं, चोरी हुई गाय को वापिस हासिल करने की कुछ ऐसी जिद रही की आखिरकार एक व्यक्ति की वर्षों की तपस्या सफल हो गई और सच्चाई की जीत हो गई , इस सच्चाई को सामने लाने के लिए किसी गाय का राजस्थान में पहली बार डीएनए टेस्ट हुआ और डीएनए टेस्ट के बाद गाय उसके सही मालिक तक पहुंच गई।
अब समझिए क्या है पूरा मामला
सरदारशहर में एक गाय को लेकर दो पशुपालकों में विवाद हो गया कि गाय मेरी है, मेरी है। इसको लेकर एक पशुपालक ने दुसरे के विरूद्ध गाय चोरी का मामला दर्ज करवा दिया। सरदारशहर के रामनगर बास के वार्ड 1 के 70 वर्षीय पशुपालक दूलाराम डारा की करीब 2 साल पहले 11 फरवरी 2021 को गाय चोरी हो गई थी। सरदारशहर पुलिस थाने में मामला दर्ज होने के बाद पुलिस बला टालने के लिए मामले पर 3 बार एफआर लगा चुकी थी। जिसके कारण बुजुर्ग दूलाराम ने 6 महीने पहले सुबह 11 बजे बीएसएनएल के टावर पर चढ़कर 70 वर्षीय बुजुर्ग ने अपनी पीड़ा जाहिर की। संयोग से उसी दिन उपचुनाव के प्रचार के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत आए हुए थे। बात का बतंगड़ ना बने इसके लिए पुलिस ने इसे गम्भीरता से लेते हुए आईजी बीकानेर ने गाय चोरी प्रकरण की जांच बदलकर तारानगर डीएसपी ओमप्रंकाश गौदारा को दे दी।
डीएसपी गोदारा ने खोली पूरे मामले की गुत्थी
वर्तमान में मामले की जांच कर रहे तारानगर डीएसपी ओमप्रकाश गोदारा ने बताया कि दिसंबर 2021 में सरदारशहर पुलिस थाने में मामला दर्ज हुआ था कि दुलाराम डारा की गाय को मोहल्ले वालों ने साथ मिलकर गंगाराम कुम्हार के घर पर बांध दी थी, दुलाराम डारा ने मुकदमा दर्ज करवाया कि गंगाराम के साथ आए लोगों ने उसके साथ मारपीट की और घर से गाय चोरी कर ले गए, मुकदमे को लेकर कई बार अनुसंधान हुए जिसमें दुलाराम द्वारा लगाए गए आरोप झूठे माने गए, जिसके बाद सरदारशहर में हुए उपचुनाव के दौरान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की यात्रा के दौरान दुलाराम वार्ड में स्थित एक बीएसएनएल के टावर पर चढ़ गया, दुलाराम का कहना था कि गाय मेरी है और मुझे वापस दिलाई जाए, डीएसपी ओमप्रकाश गोदारा ने बताया कि मामले की निष्पक्ष जांच करने के लिए चोरी हुई गाय और दुलाराम के घर पर बंदी उस गाय की मां का डीएनए सैंपल लिया गया और जांच के लिए हैदराबाद भेजा गया, डीएनए रिपोर्ट में यह स्पष्ट हो गया कि गाय दुलाराम की है और दोनों गाय मां बेटी है, जिसके बाद पुलिस ने गाय और उस गाय के जन्मी दो बछड़ी को गंगाराम कुम्हार के घर से खोलकर दुलाराम के घर पहुंचाया और दुलाराम के सुपुर्द किया।
70 वर्षीय पीड़ित बुजुर्ग दुलाराम डारा ने बताया कि 11 फरवरी 2021 को मेरी गाय गुम हो गई थी, लगभग 10 महीने बाद 8 दिसंबर 2021 को मेरे पास जानकार व्यक्ति का फोन आया और उसने कहा कि आपकी गाय बाजार में खड़ी है, मैं गया तो देखा कि वह मेरी गाय थी तो मैं उसे पकड़ कर घर ले आया, मैंने पड़ोसी को कहा कि इस गाय की फोटो सोशल मीडिया पर अपलोड कर दो ताकि इस गाय के बछड़े को भी कोई हम तक पहुंचा दें, जिसके बाद मैं घर आया तो घर के आगे भीड़ इकट्ठा थी और उन्होंने मेरे साथ मारपीट की और गाय को मेरे घर से जबरदस्ती खोलकर ले गए, मैं मेरे बेटे की कसम खाता रहा और कहता रहा कि गाय मेरी है लेकिन उन्होंने नहीं मानी और मारपीट के दौरान मेरे दो दांत टूट गए, मामले को लेकर 9 दिसंबर 2021 को मैंने पुलिस थाने में घटना की रिपोर्ट दी, लेकिन पुलिस ने मेरा मामला दर्ज नहीं किया, जिसके बाद चूरू पुलिस अधीक्षक के समक्ष पेश हुआ तब जाकर 21 दिसंबर 2021 को सरदारशहर पुलिस थाने में मामला दर्ज हुआ, जांच के दौरान सरदारशहर पुलिस थाने में मामले को झूठा साबित कर दिया गया, जिसके बाद मैं बीकानेर रेंज आईजी के समक्ष पेश हुआ और मामले की जांच बदलवाई, जिसके बाद जांच भानीपुरा थाना अधिकारी को दी गई, भानीपुरा थाना अधिकारी ने भी मामले को झूठा साबित कर दिया, जिसके बाद मैं जयपुर में डीजी के समक्ष पेश हुआ, जिसके बाद जांच डूंगरगढ़ थानाधिकारी को सौंपी गई, लेकिन डूंगरगढ़ थाना अधिकारी ने भी जांच को झूठा साबित कर दिया, इस दौरान सभी जांच करने वालों ने मेरे से पैसे भी लिए, 30 नवंबर 2022 को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत उपचुनाव के दौरान सभा करने के लिए सरदारशहर आए हुए थे उसी दौरान मैं मोहल्ले में स्थित बीएसएनएल के टावर पर चढ़ गया और मेरी गाय मुझे दिलाने की मांग की, तब तारानगर डीएसपी ओमप्रकाश गोदारा ने मुझे पूर्ण आश्वासन दिया कि अगर गाय आपकी है तो आपको मैं गाय दिलाऊंगा, उसके बाद गाय का डीएनए सैंपल लेकर हैदराबाद भेजा गया और अब डीएनए रिपोर्ट मेरे पक्ष में आई है, पुलिस गाय को गंगाराम के घर से खोलकर मेरे घर पर छोड़ कर गई है,
दुलाराम ने की है आरोपी पर कार्रवाई की मांग
दुलाराम ने बताया कि गाय मेरी थी और मुझे मिल चुकी है, अब मैं मामले में लिप्त सभी आरोपियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग करता हूं, दुलाराम ने बताया कि जिस दिन से मेरी गुम हुई थी उस दिन से मैंने यह तय कर लिया था कि जब तक मेरी गाय मुझे नहीं मिलेगी तब तक मैं अपनी दाढ़ी नहीं कटवाउंगा, उन्होंने कहा कि अब भी में जब तक दाढ़ी नहीं कटवाउंगा जब तक मामले में लिप्त आरोपियों और झूठी जांच करने वाले पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं होती है,
मामले में इन्होंने की बुजुर्ग पीड़ित की मदद
दुलाराम ने बताया कि टावर पर चढ़ने के बाद तारानगर डीएसपी ओमप्रकाश गोदारा, सरदारशहर थाना अधिकारी सतपाल विश्नोई और एसडीएम बिजेंद्रसिंह ने मेरी इस मामले में मदद की और मुझे मेरी गाय वापस दिलवाई, मेरी गाय और उसके पिछले 2 सालों में जन्मी दो बछड़ी को भी पुलिस ने मुझे मेरे घर लाकर दिया है, उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि सरदारशहर के स्थानीय नेताओं ने पहले मामले में कार्यवाही नहीं होने दी, आरएलपी सुप्रीमो हनुमान बेनीवाल ने इस मामले में मेरी खूब मदद की।
पीड़ित बुजुर्ग की पत्नी माली देवी ने बताया कि हमारा गरीब परिवार है और घटना के दौरान में मंडी में मूंगफली छंटाई का काम करने जाती थी, इस दौरान मेरे पति ने हमारा पुश्तैनी 10 बीघा खेत बेच दिया, लेकिन मेरे पति ने कहा कि मैं सच्चाई को सबके सामने लाकर रहूंगा, जब जमीन बेची तो हम सब ने बहुत मना किया कि 20 हजार रुपये की गाय के लिए खेत बेचकर लाखों रुपए बर्बाद मत करो, लेकिन मेरे पति ने कहा कि मेरे पिता की जमीन है मैं बेचूंगा पर इस पूरे मामले में सच्चाई सामने लाकर रहूंगा, अब बुजुर्ग की पत्नी मालीदेवी भी गाय मिलने पर खुश नजर आ रही है।
सरदारशहर पशु चिकित्सा स्वास्थ्य कार्यालय के डिप्टी डायरेक्टर डॉक्टर केसरीचंद नाई ने बताया कि तारानगर डीएसपी ओमप्रकाश गोदारा ने मुझसे संपर्क किया और कहा कि एक गाय हैं और उस गाय को किसी अन्य व्यक्ति द्वारा हड़पने का आरोप है, तब हमारी टीम ने 3 जनवरी 2023 को उस गाय और उसका की मां के डीएनए सैंपल लिए, और उसके बाद हैदराबाद लैब में डीएनए जांच के लिए सैंपल भेजे गए, अब उस डीएनए सैंपल की रिपोर्ट आई है कि उनकी फर्स्ट जनरेशन सेम है और उन दोनों का मां बेटी का रिश्ता है, उन्होंने कहा कि संभवत यह इस प्रकार के डीएनए सैंपल से जांच करवाने का पहला मामला है।
पीड़ित बुजुर्ग के दुलाराम की बेटी अनीता ने बताया कि गाय हमारी थी और हमें ही चोर बना दिया गया, मेरे पापा ने बहुत संघर्ष किया, सरदारशहर में हमारी कोई सुनवाई नहीं हुई, मेरे पापा ने चूरू, बीकानेर, जयपुर तक के चक्कर लगाए, लेकिन हमारी कोई सुनवाई नहीं हुई, हमारी पूरी मदद तारानगर डीएसपी ओमप्रकाश गोदारा, थानाधिकारी सतपाल विश्नोई और आरएलपी सुप्रीमो हनुमान बेनीवाल ने की, अनीता ने कहा कि मेरे पापा को इस संघर्ष की लड़ाई में जीत दिलाने के लिए मैं इन सभी का आभार प्रकट करती हूं।
यह दर्ज हुआ था पुलिस थाने में मामला
21 दिसंबर 2021 को शाम करीब 6 बजे चूरू पुलिस अधीक्षक के आदेश पर पूरे मामले को लेकर मामला दर्ज किया गया। दुलाराम ने अपनी रिपोर्ट में बताया करीब 10 महीने पहले मेरी सफेद व काले रंग की गाय जो 6 माह की गर्भवती थी घर से बाहर घूमने के लिए निकाली हुई थी, शाम को 7 बजे तक वापस नहीं आई, हमने बहुत तलाश किया लेकिन गाय नहीं मिली लेकिन लेकिन 10 महीने बाद 8 दिसंबर 2021 को मेरी गाय बाजार मेरे घर आई तो वहां से मुझे किसी ने फोन किया और मैं अपनी गाय को घर ले आया, 9 दिसंबर को सुबह मोहल्ले के परतुराम गोदारा, धनाराम, गोपालराम कुंम्हार, राकेश, कानाराम, गंगाराम कुंम्हार, और कुछ अन्य व्यक्ति मेरे घर के आगे आए और कहा कि गाय कैसे बांध ली, मैंने कहा कि गाय मेरी थी इसलिए बांधी है, मेरी गाय पिछले 10 महीने से गायब थी जिसे परतुराम गोदारा ने बांध ली और घर से नहीं निकाली, अब गाय बाहर निकाली तो मुझे गाय मिल गई है और मेरी गाय घर पर ले आया हूं, उक्त लोगों ने मेरे साथ मारपीट की और घर से गाय चोरी कर ले गए। आपको बता दें कि बाद में परतुराम गोदारा ने उक्त गाय को गंगाराम कुंम्हार को बेच दिया।
दुलाराम ने गाय का नाम रखा है भारत माता
आपको बता दें कि इस विवादित गाय का जन्म दुलाराम के घर बंधी इस गाय की माँ ने करीब 7 साल पहले 26 जनवरी को दिया था, 26 जनवरी को इस गाय का जन्म होने के कारण दुलाराम ने इस गाय का नाम भारत माता रखा, लगभग 4 साल इस गाय का पालन पोषण किया और जब इस गाय ने गर्भधारण किया तब यह गाय गुम हो गई।
यह पूरा मामला हमें कहानी की तरह लग रहा है लेकिन सच्चाई यही है की जीत सत्य की होती है।
देर से ही सही लेकिन आखिरकार दुलाराम को न्याय मिल गया उसे उसकी गाय मिल गई। दुलाराम ने अपनी गाय को हांसिल करने के लिए एक लंबी लड़ाई लड़ी और आखिरकार उसे सफलता मिल गई । इसे दुलाराम की जिद कहे या गाय के प्रति उसका लगाव इस लड़ाई को लड़ने के लिए दुलाराम ने अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया।
गजेंद्र सिंह की रिपोर्ट