मुझमें बसा कोई चेहरा काव्य संग्रह का लोकार्पणशब्द हमारे भीतर निहित चिरंतन की संभावना है

मुझमें बसा कोई चेहरा काव्य संग्रह का लोकार्पणशब्द हमारे भीतर निहित चिरंतन की संभावना है

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सरदारशहर। स्थानीय श्री लोक रंजन परिषद एवम कागज़ संस्थान ने बाबू शोभाचंद जम्मड़ भवन सरदारशहर में अशोक अनुराग के 24 वें काव्य संग्रह मुझ में बसा कोई चेहरा का भव्य लोकार्पण कार्यक्रम हुआ।

कार्यक्रम का शुभारंभ भारत वर्ष की ख्यातनाम लेखिका जया जादवानी,पद्म श्री चंद्रप्रकाश देवल,राजस्थान साहित्य अकादमी के अध्यक्ष दुलाराम सारण,वरिष्ठ कथाकार मालचंद तिवाड़ी, डॉ घनश्याम नाथ कछावा,शंकर लाल प्रेमानीऔर प्रकाश बिस्सा ने मां सरस्वती के आवक्ष के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर किया ।इस अवसर वरिष्ठ साहित्यकार अशोक अनुराग के 24 वें काव्य संग्रह मुझमें बसा कोई चेहरा का लोकार्पण के साथ उनकी पुस्तक पर मालचंद तिवाड़ी ने पत्र वाचन करते हुए कहा कि यह उस शहर, कस्बे या गाँव का सौभाग्य ही है कि वहां ऐसी मानवीय करुणा,गहन सौंदर्यानुभूति और गहरे वैराग्य से आप्लावित मनुष्य की उपस्थिति होती है। जया जादवानी ने कहा कि शब्द हमारे भीतर निहित चिरंतन की संभावना होते है अनुराग के काव्य संग्रह के हवाले से कहा कि बड़ा हो या छोटा हर कवि की कविता मानवता के प्रति लिखा गया एक प्रेम पत्र होती है। पद्म श्री चंद्र प्रकाश देवल ने कहा कि मनुष्य के जीवन में सदा ही कुछ मार्मिक क्षण होते है साधारण आदमी उनको संजो नही सकता मगर कवि के लिए वही जीवन का सबसे मूल्यवान क्षण होता है अनुराग ने अनुभूतियों के सघनतम क्षणों को शब्दों में पिरोने वाले कवि है।

दुला राम सारण ने कहा कि अनुराग बाह्य आडंबर से परे स्वांत सुखाय के लिए लिखता है।इस अवसर पर शोभाकांत स्वामी,शंभू दयाल पारीक ,गिरीश लाटा,दिलीप चौधरी,अशोक भोजक,महेंद्र चारण,सत्यवान सिंह,आशाराम आदि ने अतिथियों का अभिनंदन किया।कार्यक्रम का संचालन मालचंद तिवाड़ी और जितेंद्र शर्मा ने किया।

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