श्रीराम कथा में कथा वाचक बोले “श्रीराम कथा मनुष्य को मर्यादाशील जीवन जीना सिखाती है, इसलिए कथा सुनना जरूरी

श्रीराम कथा में कथा वाचक बोले “श्रीराम कथा मनुष्य को मर्यादाशील जीवन जीना सिखाती है, इसलिए कथा सुनना जरूरी

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सरदारशहर.उपखंड क्षेत्र के गांव हरदेसर में स्थित केशव प्रिया गौशाला में चल रही श्रीराम कथा के सातवे दिन रविवार को कथा वाचक संत शंकर दास महाराज ने कहा कि जो मनुष्य सच्चे मन से श्रीराम कथा का श्रवण कर लेता है, उसका लोक ही नहीं परलोक भी सुधर जाता है। मनुष्य जीवन बहुत दुर्लभ है और बहुत सत्कर्मों के बाद ही मनुष्य का जीवन मिलता है। उन्होंने कहा कि मनुष्य को इसका सदुपयोग करना चाहिए और राम नाम का जप करते हुए अपने लोक व परलोक को सुधारना चाहिए। कलियुग में मनुष्य का सबसे बड़ा सहारा राम नाम ही है। प्रवचन के दौरान महाराज ने कहा कि हमें अपने दाम्पत्य जीवन में गंभीर होना चाहिए। पति-पद्यी, भाई- बहन, भाई-भाई का प्रेम, पिता-पुत्र, सास-बहु सभी को अपनी मर्यादा में रहना चाहिए। रामायण हमें मर्यादा सिखाती है। रामायण को प्रतिदिन श्रवण करने से मानसिक संतुलन ठीक रहता है। दुराचारी रावण की नकारात्मक सोच ने उसके पूरे कुल का विनाश कर दिया। जो मनुष्य तुलसीदल की शरण आएगा वह हर प्रकार के दल-दल से बच जाएगा। तुलसी की माला भगवान की पहचान है हमें गले में तुलसी की माला पहनना चाहिए। गले में तुलसी की माला और मुख में राम यही हमारे सकारात्मक भाव होना चाहिए। इस दौरान कथा के पंडाल में बैके हुए लोगों ने कथा के दौरान खुब आंदन लिया। कथा वाचक ने अपने प्रवचन में कहा कि गुलाब का फूल दिखने में सुंदर है पर चखने में मीठा नहीं होता, गन्ना दिखने में सुंदर नहीं पर चखने में मीठा होता है। किंतु हमें अपना स्वभाव सुंदर और मीठा बनाना है तो भगवान राम की कथा कहना व सुनना चाहिए। इससे हमारा स्वभाव मधुर, मनोहर और मंगलकारी हो जाएगा। इस दौरान राजेश सोनी,डॉ दिनेश कुमार, मांगीलाल डांगी, अध्यापक सहीराम, गौ सेवा समिति अध्यक्ष किशोरदास स्वामी,परमाराम ओलख,चुनदास स्वामी, सुमेर सिंह राठौड़ आदि उपस्थित रहे।

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