राजस्थानी में कविताएं पेश कर दिखाया मायड़ भासा से हेत**विश्व मातृभाषा दिवस पर सूचना केंद्र में हुआ कार्यक्रम ‘मायड़ रो हेत’, भाषा की मान्यता पर दिया बल

राजस्थानी में कविताएं पेश कर दिखाया मायड़ भासा से हेत**विश्व मातृभाषा दिवस पर सूचना केंद्र में हुआ कार्यक्रम ‘मायड़ रो हेत’, भाषा की मान्यता पर दिया बल

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चूरू। अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के अवसर पर सूचना एवं जनसंपर्क विभाग तथा काव्यशाला संस्था के संयुक्त तत्वावधान में बुधवार को जिला मुख्यालय स्थित सूचना केंद्र में राजस्थानी भाषा पर केंद्रित कार्यक्रम ‘मायड़ रो हेत’ का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में राजस्थानी रचनाकारों ने अपनी रचनाएं पेश कर मायड़ भासा के प्रति अपनी भावनाओं का इजहार किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए राजस्थानी के प्रख्यात लेखक राजेंद्र शर्मा मुसाफिर ने कहा कि राजस्थानी विश्व की सबसे बड़ी भाषाओं में से एक है। विश्व की प्राचीनतम भाषाओं में से एक राजस्थानी में प्रचुर मात्रा में साहित्य रचा गया है, जो हमें गौरवान्वित करता है। उन्होंने कहा कि हमें अपने घर में भी राजस्थानी को बढ़ावा देना चाहिए तथा राजस्थानी रचनाकारों को भी सतत सृजन करते हुए मायड़ भासा के साहित्य भंडार को समृद्ध करते रहना चाहिए। वरिष्ठ पत्रकार नरेंद्र शर्मा ने राजस्थानी भाषा के इतिहास और राजस्थानी को आगे बढ़ाने में चूरू के योगदान की चर्चा करते हुए कहा कि मातृभाषा मां के समान होती है।

हमारे मन में मातृभाषा के प्रति सम्मान होना चाहिए। पत्रकार आशीष गौतम आशु ने कहा कि राजस्थानी के रचनाकारों ने पूरे देश में भाषा का मान बढाया है और एक से बढ़कर एक लेखक इस भाषा में हुए हैं। उन्होंने कहा कि हिंदी भाषा के निर्माण में राजस्थानी की बड़ी भूमिका रही है। अब राजस्थानी को भी समुचित मान-सम्मान देते हुए इसे राजस्थान की राज्य भाषा घोषित करना चाहिए तथा संविधान की आठवीं अनुसूची में स्थान देना चाहिए।इस दौरान राजस्थानी साहित्यकार कुमार अजय ने ‘कदै स्हैर आवै तो मिलज्यै…’ कविता सुनाकर अपनी भावना का इजहार किया। भगवती पारीक ने ‘जै राजस्थान जै राजस्थानी’ कविता प्रस्तुत कर राजस्थानी भाषा की क्षमता और मान्यता की जरूरत से रूबरू करवाया। कार्यक्रम संयोजक बुधमल सैनी ने ‘म्हारै मांयलो’ कविता सुनाकर अपनी संवेदनशीलता का परिचय दिया। इसी तरह मनीष सरीता कुमार ने ‘अड़़ुवौ’, पिंटू शर्मा ने ‘बुगलौ’, कुमार सोनू ने ‘किरसाण’ व ‘राजस्थानी म्हारी पिछाण’, विनीता स्वामी विनोद ने ‘म्हारै घर आयौ पावणौ’, जय सिंह ‘वीर’ ने ‘वन्स देयर वाज ए लूंकड़ी’, संदीप जांगिड़ ने ‘आज करी खेत मांय गोठ’, महेश सैनी ने ‘म्हारी दाऊंड़ी आँख फड़कै’ आदि राजस्थानी कविताएं प्रस्तुत की। कार्यक्रम में सहायक जनसंपर्क अधिकारी मनीष कुमार, पत्रकार अमित तिवारी, बीरबल नोखवाल, गीता रावत, जुगल प्रजापत, संजय जांगिड़, मनीष कुमार, रामचंद्र गोयल, मंगेज सिंह, संजय गोयल आदि उपस्थित रहे। अनिल कुमार रजन्यंश ने कार्यक्रम का संचालन किया।

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