मातृभाषा दिवस पर मुखर हुए स्वर, राजस्थानी को मिले राजभाषा का दर्जा

मातृभाषा दिवस पर मुखर हुए स्वर, राजस्थानी को मिले राजभाषा का दर्जा

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चूरू। अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर बुधवार को जिलेभर में राजस्थानी भाषा को राजस्थान में राजभाषा का दर्जा दिए जाने तथा संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किए जाने की मांग मुखर हुई। जिला मुख्यालय पर काव्यशाला संस्था की ओर से साहित्यकारों, साहित्यप्रेमियों ने जिला कलक्टर पुष्पा सत्यानी को मांग पत्र देकर राजस्थानी को राजभाषा बनाने एवं संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किए जाने की मांग रखी। साहित्य अकादेमी से सम्मानित युवा साहित्यकार कुमार अजय, साहित्यकार राजेंद्र शर्मा मुसाफिर, कवि-पत्रकार आशीष गौतम आशु, बीरबल नोखवाल, बुधमल सैनी, मनीष सरिता कुमार, जुगल प्रजापत, कुमार सोनू सेन, अनिल रजन्यंश, जय ‘वीर’, संदीप, पिंटू शर्मा, संजय जांगिड़, गीता रावत, विनीता स्वामी विनोद ने जिला कलक्टर को मांग पत्र दिया और राजस्थानी भाषा को समुचित मान दिए जाने की बात रखी। साहित्यकारों ने जिला कलक्टर को बताया कि वर्तमान में राजस्थानी भाषा बोलने वालों की संख्या 8 से 10 करोड़ है तथा इस दृष्टि से राजस्थानी भारत में सातवां स्थान व विश्व में 16 वां स्थान रखती है। राजस्थानी को केन्द्रीय साहित्य अकादमी नई दिल्ली के साथ-साथ अमेरिका, नेपाल जैसे देशों ने मान्यता दे रखी है। राजस्थानी भाषा को जल्द से जल्द प्रदेश की राजभाषा घोषित करने से राजस्थानी की मान्यता को बल मिलेगा। मगही, गारो, भोजपुरी, छत्तीसगढ़ी और कई भाषाओं को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल नहीं होते हुए भी इन भाषाओं को इनके राज्यों में राजभाषा का दर्जा मिला हुआ है, इसलिए राजस्थानी को भी राजभाषा का दर्जा दिया जा सकता है। साहित्यकारों ने राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की कक्षा 6 से कक्षा 10 तक तृतीय भाषा के रूप में राजस्थानी विषय को शामिल किए जाने, कक्षा 10 वीं की ओपन बोर्ड की तरह, कक्षा 12 वीं की ओपन बोर्ड परीक्षा में भी राजस्थानी विषय को लागू किए जाने, रीट की परीक्षा में भाषा चयन के विकल्प में हिन्दी, अंग्रेजी, संस्कृृत, उर्दू, पंजाबी, गुजराती एवं सिंधी के साथ राजस्थानी भाषा को शामिल किए जाने, नवक्रमोन्नत विद्यालयों, महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों में राजस्थानी विषय खुलवाए जाने, राजस्थान प्रशासनिक परीक्षा में कम से कम 100 नम्बर का पेपर राजस्थानी भाषा का दिए जाने, सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में अधिक से अधिक राजस्थानी भाषा एवं साहित्य से संबंधित प्रश्न पूछे जाने, राजस्थानी विश्वविद्यालय की स्थापना किए जाने, राजस्थानी भाषा के शोधार्थियों को फैलोशिप प्रदान किए जाने का भी अनुरोध किया है। —

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